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कार्यपालिका

भारत में किस तरह की कार्यपालिका है – सामान्य जानकारी

कार्यपालिका क्या होती है ?

किसी भी देश की व्यवस्था को चलाने के लिए कुछ तैय अंग बने होते हैं, जिनका काम देश के प्रति नीतिगत निर्णय लेना, प्रशाशनिक कार्यों की देख-रेख करना, कानून बनाना, उसे लागु करना और फिर उसकी देख-रेख करना होता है। इसी प्रकार जब भारतीय सविंधान बना था तो उसके तीन अंग बनाए गए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। 

विधायिका का काम, विधेयक यानि कानून बनाना होता है, कार्यपालिका का काम उस कानून को लागु करना है, और फिर यदि कार्यपालिका द्वारा लागु किये गए उस कानून में कहीं कोई समस्या आती है, उस कानून का पालन नहीं किया जाता है, तो फिर उस समस्या को दूर करने का काम न्यायपालिका करती है, यानि देश को चलाने के लिए एक पूरा सिस्टम बना हुवा है, जिसमे कार्यपालिका की भूमिका आपने समझ ली होगी। 

कार्यपालिका प्रशाशन का काम करती है, उसका काम विधायिका द्वारा बनाई गई नीतियों, कानूनों को देश में लागु करना होता है, और उसके पक्ष में फैसले लेना होता है। 

भारत में किस तरह की कार्यपालिका है ?

भारत में संसदीय कार्यपालिका है, वह कार्यपालिका जो संसद के बहुमत से प्राप्त समर्थन पर निर्भर करती है। केंद्र में कार्यपालिका का सबसे प्रमुख राष्ट्रपति होता है, जिन्हे देश का पेहला नागरिक और प्रमुख व्यक्ति माना जाता है, राष्ट्रपति के बाद दूसरा प्रमुख उप राष्ट्रपति होता है, तीसरे नंबर पर आता है, प्रधानमंत्री का पद और फिर चौथा नंबर मंत्री परिषद् का होता है। 

हालाँकि राष्ट्रपति नाम मात्र की कार्यपालिका है, और राष्ट्रपति की सहायता व सलाह देने का काम प्रधामंत्री द्वारा किया जाता है, यानि प्रधानमंत्री के पास ही वास्तविक शक्तियाँ होती हैं, और राष्ट्रपति को मिले कई अधिकारों शक्तियों का उपयोग भी प्रधानमंत्री द्वारा ही किया जाता है, तथा मंत्रि परिषद का प्रमुख भी प्रधानमत्री ही होता है, इसलिए प्रधानमंत्री ही देश का वास्तविक और प्रमुख कार्यपालिका होता है।

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