नमस्कार दोस्तों आज हम आपको उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में धूम-धाम से मनाए जाने वाले हरेला (Harela) पर्व के बारे में जानकारी देंगे, यानि हरेला क्या है, Harela festival in Hindi और यह क्यों मनाया जाता है।
उत्तराखंड राज्य देश में सबसे अधिक पर्व मानाने वाले राज्यों में से एक है। यहाँ पर ऋतुओं के अनुसार ही कई पर्व मनाए जाते हैं, और समय -समय पर मनाए जाने वाले ये पर्व जहाँ बच्चो और बड़ो के बीच ख़ुशी लेकर आते हैं, वहीँ पहले से चली आ रही पहाड़ की परंपराओं को भी कायम रखते हैं। इन्ही पर्वो में से एक पर्व Harela का भी है।
Harela Festival in Hindi | हरेला पर्व क्या होता है
हरेला शब्द हरयाली यानि खेती से जुड़ा है, वैसे तो हरेले का यह पर्व साल में तीन बार मनाया जाता है, चैत्र मास (March-April) श्रावण मास (July-August) और आश्विन मास (September-October)
इनमे सबसे अधिक महत्व श्रावण मास में आने वाले हरेले को दिया जाता है, क्योंकि श्रावण महीना हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है, जो की भगवान् शिव का महीना है और ग्रीष्म ऋतू में सुख गए पेड़ पौधों को श्रावण महीना आते ही जैसे एक नया जीवन प्राप्त हो जाता है, जहाँ बारिश की रिमझिम बूंदो के साथ ही हर तरफ हरयाली बिखर जाती है।
यही वजह है की हरेले का यह त्यौहार साल के इस पावन समय में मनाया जाता है। हरेले की शुरुवात श्रावण महीने के शुरू होने से 9 दिन पहले यानि आषाढ़ में ही हो जाती है, जब खेत की उपजाऊ मिट्टी को एक छोटी टोकरी या बर्तन में भर कर अपने घर पर बने मंदिर के पास रख दिया जाता है।
इसके बाद इस मिट्टी में पांच से सात प्रकार के अनाज जैसे धान, गेहूँ, जों, गेहत, उड़द, सरसों और भट्ट इत्यादि बो दिया जाता है, और हर रोज 9 दिनों तक इस पात्र में पानी छिड़का जाता है, थता इसकी देखभाल की जाती है, और आशा की जाती है कि यह पौधें जल्दी से घने और बड़े हो जाएं।
उगने वाले इन्ही पौधों को हरेला कहा जाता है, और ऐसा माना जाता है कि यदि हरेला अच्छा होगा तो आने वाली फसल भी अच्छी होगी। दसवें दिन घर पर अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और पूजा पद्द्ति के साथ इष्ट देव का टिका (अक्षत व रोली) से किया जाता है और हरेले को काटा जाता है।
इसके बाद प्रसाद और हरेले को सबसे पहले अपने घर के मंदिर व स्थानीय देवता को चढ़ाया जाता है, और भगवान् से अच्छी फसल की कामना की जाती है। इनमे से कुछ तिनकों को भगवान् का आशीर्वाद समझ कर घर के मुखियां द्वारा अपने और परिवार जनों के सर पर और कान के पीछे रखा जाता हैं और उन्हें भी टिका लगाया जाता है, फिर गीत गाते हुए छोटे बच्चों को आशीर्वाद दिया जाता है।
हरेला पर्व की शुभकामना
“जी रये,जागी रये,तिष्टिये,पनपिये,
दुब जस हरी जड़ हो,ब्यर जस फइये,
हिमाल में ह्युं छन तक,
गंग ज्यू में पाणिं छन तक,
यो दिन और यो मास भेटनें रये,
अगासाक चार उकाव,धरती चार चकाव है जये,
स्याव कस बुद्धि हो,स्यू जस पराण हो। “
ऐसे में यदि कोई परिवार का व्यक्ति या बच्चे घर से बाहर यानि शहर में रहते हैं, तो उनके लिए भी यह हरेला भेजा जाता है। इसके बाद घर पर बने पकवान अपने आस-पड़ोस में बांटे जाते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएँ दी जाती हैं। हरेले के इस पावन पर्व को वृक्षारोपण त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है, इसी लिए इस त्यौहार में वृक्षों को लगाना भी शुभ माना जाता है, यानि हरेला ना सिर्फ एक त्यौहार है बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी एक अच्छा उदाहरण है।
तो दोस्तों आपने हरेला पर्व Harela festival in hindi की यह जानकारी पढ़ी, हमें उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि यह जानकारी आपको अच्छी लगी है तो आप कमेंट करके हमें बता सकते हैं।