आउटसोर्सिंग शब्द जो अक्सर आज कल चर्चा में रहता है, यानि आम बातचीत या बिज़नेस से जुड़ी बातचीत में कहीं ना कहीं आपको यह शब्द सुनाई दे जाता है, ऐसे में यदि आपके मन में भी सवाल उठता है, की आख़िर यह Outsourcing kya hai, Outsourcing kise kahate hain तो इस पोस्ट को पढ़कर आप आउटसोर्सिंग के बारे में काफी कुछ जान जाएंगे।
Outsourcing kise kahate hain | Meaning of outsourcing in hindi
आम भाषा में कहें तो Outsourcing यानि अपने कार्यों को दूसरे लोगों के बीच बाँट देना ताकि कम समय, और कम लागत में अधिक से अधिक काम किया जा सके। आज के समय में आपने देखा होगा अधिक्तर बड़ी कंपनियां अपने पार्टनर्स बना लेती हैं, यानि कोई एक बड़ी कंपनी के दो तीन छोटी या बराबर की कंपनियां पार्टनर्स होती हैं, असल में यह भी Outsourcing का ही एक रूप है।
आउटसोर्सिंग बिज़नेस का वह तरीका है, जिसमे कोई कंपनी अपने कार्यों जैसे सर्विस देने, सपोर्ट देने, माल तैयार करने या दूसरे कई कार्यों के लिए कंपनी से बाहर की पार्टियों को नियुक्त कर लेती है, यानि जो काम पहले कंपनी के भीतर ही कंपनी के स्टाफ द्वारा किया जाता था, वही कार्य नियुक्त की गई पार्टियों या दूसरी कंपनियों को दे दिया जाता है।
कंपनी द्वारा ऐसा करने के पीछे के कई कारण हो सकते हैं, जैसे माल तैयार करने के लिए जगह की कमी, स्टाफ की कमी, काम की अधिक्ता जिसे पूरा नहीं किया जा सक रहा हो, लेकिन आम तोर पर कंपनी द्वारा आउटसोर्सिंग करने का मुख्य कारण Cost cutting होता है, जहाँ पर कंपनी अपने खर्चों में कमी लाने के लिए खुद के द्वारा किए जा रहे कार्यों को Outsource कर देती है। आज BPO, KPO थता ईकॉमर्स कंपनियां इसके आम उदाहरण हैं, जिन की नीव ही Outsource किये गए कार्य पर टिकी हुई है, और लाखों लोगों को इनसे रोजगार भी मिल रहा है।
वह कंपनी जिसे कार्य या सर्विस Outsource किया गया हो, उसी के द्वारा अपने स्टाफ या अपने इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंध किया जाता है, जिसके बाद वह मुख्य कंपनी द्वारा तैय कि गई कीमतों पर उन्हें अपनी सर्विस या माल तैयार करके देता है। आज आउटसोर्सिंग बिज़नेस का एक आम तरीका बन गया है, जहाँ पर आप किसी भी प्रकार के कार्य को Outsource कर सकते हैं, जिनमे IT से जुड़े कार्य जैसे सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन डेवलोपमेन्ट थता टेक्निकल सपोर्ट देना, इसके साथ ही Human resource, फाइनेंसियल सर्विसेज इत्यादि सभी आज कल आउटसोर्स किए जा सकते हैं।
Outsourcing ke kya fayde hain | Benefits of outsourcing in hindi
जब किसी कंपनी का बिज़नेस काफी बढ़ जाता है, वह अपनी लागत में कटौती करना चाहती है, प्रोडक्ट की गुणवत्ता को पहले से बेहतर करना चाहती है, या कंपनी अपने बाकि कार्यों में अधिक ध्यान ना देकर सिर्फ कुछ चुंनिंदा कार्यों पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहती है, तो ऐसी परिस्थितियों में आम तोर पर कंपनियां Outsourcing का सहारा लेती हैं। तो चलिए जानते हैं, कंपनियों द्वारा आउटसोर्सिंग करने के क्या फायदे हैं।
चुनिंदा कार्यों पर ध्यान दे सकते हैं :- यह आउटसोर्सिंग के सबसे बड़े फायदों में से एक है, जिसमे कंपनी बाकि सभी कार्यों को आउटसोर्स करके सिर्फ और सिर्फ अपने core business पर ध्यान केंद्रित करती है।
समय की काफी बचत हो जाती है :- बैक ऑफिस या दूसरे कम महत्वपूर्ण कार्यों को आउटसोर्स करने पर समय की भी काफी बचत हो जाती है, और उस समय को दूसरे महत्वपूर्ण कार्यों पर लगाया जा सकता है।
कार्य में कुशलता आ जाती है :- आउटसोर्सिंग करने पर उस कंपनी को कार्य सौंपा जाता है, जिसको उस तैय कार्य में विशेषज्ञता और कुशलता प्राप्त हो, जिससे ना सिर्फ productivity बढ़ती है, बल्कि quality भी बेहतर होती है।
रिस्क कम हो जाता है :- कंपनी रिस्क से बच जाती है, क्योंकि यहाँ पर स्टाफिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि सभी का बंदोबस्त आउटसोर्सिंग कंपनी (थर्ड पार्टी) द्वारा ही किया जाता है, यानि ऐसे में मुख्य कंपनी को ना तो स्टाफ रखने की आवश्यकता पड़ती है, और ना ही इंफ्रास्ट्रचर तैयार करने की।
स्टाफिंग में लचीलापन मिल जाता है :- क्योंकि कार्य और इंफ्रास्ट्रक्टर का प्रबंध दूसरी कंपनी द्वारा किया जाता है, तो ऐसे में मुख्य कंपनी जब चाहे कार्य की आवश्यकता अनुसार स्टाफ बढ़वा या घटवा सकती है।
लागत कम लगती है :- यह भी आउटसोर्सिंग के सबसे बड़े फायदों में से एक है, क्योंकि आउटसोर्सिंग करने पर labour थता operational खर्चों को कम किया जा सकता है, यानि काफी Cost cutting हो जाती है, जिसके बाद उस पैसे को कंपनी के ही दूसरे जरुरी कार्यों पर लगाया जा सकता है।
Types of outsourcing in hindi
आउटसोर्सिंग क्या है, Outsourcing kise kahate hain, और आउटसोर्सिंग क्यों की जाती है, यह सब जानने के बाद चलिए अब आउटसोर्सिंग के प्रकार जानते हैं। आपको बता दें की आउटसोर्सिंग मुख्यतः तीन प्रकार की होती है, और यह तीनो ही स्थान पर आधारित हैं, चलिए समझते हैं, कैसे?
Onshore outsourcing:- इसे local outsourcing या domestic outsourcing भी कहा जाता है, इसमें अपने ही देश या क्षेत्र के भीतर किसी पार्टी को कार्य outsource किया जाता है, यानि कंपनी अपने कार्यों को आउटसोर्स तो करती है, लेकिन सिर्फ अपने ही देश में। लोकल आउटसोर्सिंग के कई फायदे हैं, जैसे की मुख्य कंपनी और आउटसोर्स की गई पार्टी दोनों एक ही language, culture, थता time zone से संबंध रखते हैं, जिससे एक दूसरे से जुड़ना आसान हो जाता है, साथ ही नजदीक होने के कारण आवश्यकता पड़ने पर कभी भी मिला जा सकता है, थता कार्य की स्तिथि को देखा जा सकता है।
Offshore outsourcing:- यह Onshore outsourcing से उलट है, जिसमे अपने देश से बाहर किसी पार्टी को कार्य आउटसोर्स किया जाता है, यानि कार्य किसी दूसरे देश में स्थित कंपनी को दिया जाता है, उदाहरण के तोर पर जैसे यूरोप में स्थित किसी कंपनी ने कार्य एशिया में स्थित किसी कंपनी को आउटसोर्स किया हो।
Offshore outsourcing के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमे से मुख्य हैं, जैसे यदि किसी देश में बिज़नेस से जुड़े कड़े कानून हैं, तो ऐसे में कंपनियां उन कानूनों या नियमों से बचने के लिए किसी दूसरे देश में स्थित कंपनी को कार्य आउटसोर्स कर देते हैं, या कई बार दूसरे देश में उपलब्ध सस्ती लेबर और लागत भी Offshore outsourcing का कारण होता है।
इसका आम उदाहरण आप भारत से ले सकते हैं, जहाँ आज दुनिया की हर छोटी से बड़ी कंपनी अपने कार्यों को आउटसोर्स करना पसंद करती हैं, चाहे वह सॉफ्टवेयर डेवलोपमेन्ट का क्षेत्र हो, या KPO, BPO जैसी सर्विसेज हो, यानि आउटसोर्सिंग के लिए विदेशी कंपनियों की पहली पसंद आज भारतीय companies और professionals हैं, और इसका सबसे बड़ा कारण है, यहाँ की सस्ती लागत और उच्च गुणवत्ता।
Nearshore outsourcing:- यह onshore थता offshore आउटसोर्सिंग से थोड़ा सा अलग है, जिसमे भौगोलिक रूप से नजदीकी देश में स्थित पार्टी को कार्य आउटसोर्स किया जाता है, उदाहरण के तोर पर जैसे भारत के पड़ोसी देश, यानि जिनका time zone लगभग बराबर हो। Nearshore outsourcing का फायदा यह है, की यदि कोई कंपनी देश में व्यापार से जुड़े सख्त कानून या सस्ती लागत के चलते किसी दूसरे देश में स्थित कंपनी को कार्य आउटसोर्स करना चाहती है, और साथ ही कंपनी यह भी चाहती है, की आउटसोर्सिंग पार्टनर नजदीक हो जहाँ बस कुछ घंटों के भीतर ही पहुंचा जा सके, या वहाँ का language और time zone भी मिलता-जुलता हो, तो ऐसे में Nearshore outsourcing को चुना जाता है।
तो दोस्तों आपने जाना Outsourcing kise kahate hain और किस प्रकार आज यह एक बिज़नेस प्रैक्टिस बन गया है। यदि हमारा यह पोस्ट आपको ज्ञानवर्धक लगा है, तो इसे दूसरों के साथ भी शेयर करें और यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके कोई सवाल हैं, या हमारे लिए कोई सुझाव है, तो आप हमें कमेंट द्वारा बता सकते हैं।